मेरी शुरुआत 2017 के सितंबर से काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुई
कौन है हम ? के प्रश्न से मैंने जाना कि आज की वास्तविक स्थिति में हम कहाँ है और कौन है? एक अरब से अधिक आबादी वाले देश में यह प्रश्न बहुत प्रासंगिक हो जाता है जो स्वयं के होने पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दे। यूथ फ़ॉर स्वराज ने मुझे समाज को समझने की नई दृष्टि ही नहीं दी साथ ही समाज निर्माण में अपनी भूमिका को निर्वाह करने की दिशा भी दी। स्वराज के संकुचित अर्थ से निकल कर उसके विस्तृत विचार को समझना हो या फिर 'तलाश भारत की' और 'स्वराज शाला' जैसी कार्यशाला का आयोजन या फिर छात्र-आंदोलन के रूप में सड़क से संसद तक मार्च हो या विचार-विमर्श के लिए स्टडी-सर्किल का संचालन, सब यूथ फ़ॉर स्वराज के साथ जुड़कर ही संभव हो पाया है। गांधी के रास्ते से होते हुए स्वराज की लड़ाई यूथ फ़ॉर स्वराज के साथ जारी रहेगी।
Y4S
2020-06-17T09:20:24+00:00
योगेश
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